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लेखनी प्रतियोगिता -27-Feb-2023


एक चोट गहरी लगा दिया
एक कांटा दिल में चुभा दिया
वो किसी और के हैं हो गए
बड़ी बेरुखी से बता दिया।

बेशक कोई मरता नहीं है
यूं इश्क के इनकार से
पर इस बेरुखी का क्या करे
जिंदा है जो दिल हार के।

नाराजगी मंजूर है
तन्हाई भी स्वीकार है
बस बेरुखी का गिला हमें है
हम इश्क के बीमार हैं।

वो खुश रहे जिस दम रहे
चाहे मेरी आँखें नम रहे
हमको वही पल भेज दो
जिस पल में साथी हम रहे।


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8 Comments

Alka jain

01-Mar-2023 06:38 PM

Nice 👍🏼

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Sushi saxena

28-Feb-2023 10:25 PM

बहुत खूब

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Renu

28-Feb-2023 05:38 PM

👍👍🌺

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